Unkahe Rishtey - 1 in Hindi Fiction Stories by Vivek Patel books and stories PDF | Unkahe रिश्ते - 1

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Unkahe रिश्ते - 1

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मेरे Dad मेरा जुठ जानते है...

वैसे तो बहुत सारे रिस्तो के बारे मैं मुझे बताना है लेकिन क्या है कि जाने पहचाने रिश्ते तो रोज मुझे मेरे होने का अहसास दिलाते है लेकिन एक ऐसा रिस्ता होता है जो कभी दिखता नही , वो कही बिकता नही, वो कही बनता नही , वो रिश्ता हमारे जन्म से पहले हमारे साथ जुड़ा रहता है~ बाप-बेटे का रिश्ता।

मुझे याद है जो मेरी माँ ने कहा था कि तेरे जन्म की समय गांव मे, अस्पताल से तू आये उससे पहले गांव के हर घर मे मिठायाँ पोहच गई थी आखिर कार तेरे Dad गुरुर बनके तू जो आ रहा था। हा , गुरुर था मुझपे! तभी तो कह रहा हूँ कि एक रिश्ता ऐसा भी होता है जो हमारे जन्म से पहले बनता है। वैसे देखा जाए तो बेटे तो बाप के गमंड होते ही है वो गमंड जो कोई बाप नही चाहेगा कि वो कभी टूटे और मानो न मानो उन्हें फक्र होता है अपने इस गमंड पर। लेकिन क्या है कि अपने EGO के चक्कर मे कही न कही बेटे उसे तोड़ ही देते है। फिर भी ये रिश्ता ज़िन्दगी भर रहता है। पता है क्यों? क्योकि बेटे के लिए ये रिश्ता भले कुछ समय का ही हो बाप के लिए वो भगवान से मांगी हुई दुआ होती है, उनकी ज़िंदगी की पहली और शायद से आखरी ख्वाहिश होती है, उनकी संतान।।।

आपने movies तो देखी होगी ना? एक यक्ति कितने अच्छे से एक किरदार को निभाता है । लेकिन movie खत्म होने बाद वो बड़ी सरलता से उसे छोड़ सकता है , क्या सब लोग ऐसा कर सकते है? चार दिन भी कोई किरदार निभा नही सकता , जो किरदार मेरे Dad ने ज़िन्दगी भर मेरे लिए निभाया है। क्योकि Unconditional आज कल कुछ नही रहा और condtion बिना सबकुछ देते है तो वो Dad ही है। ऐसा थोड़ी न होता है कि कोई अपनी पूरी ज़िंदगी गिस दे किसी और कि ज़िन्दगी बेहतर बना ने के लिए। जिंदगी की जामा-पूंजी अगर कोई free मैं देता है तो बाप ही होता है बाकी इतना बड़ा दिल रखना इंसान के बस मैं नही है। हाँ मैं किसके Dad को इंसान नही मानता क्योकि हर कोई बिना तोलमोल के प्यार नही कर सकता , महान होता है ऐसा व्यक्तित्व।।

मुझे याद है जब school का पहला दिन था तब Dad मुझे school छोड़ने आये थे। इतनी भीड़ मैं मेरी निगाहे सिर्फ उनके ऊपर थी क्योंकि मेरे लिए सब नए थे, लेकिन Dad तो बहुतो को जानते थे फिर भी उनकी नज़र मेरी और ही थी । क्योकि उन्हें डर था कि कही मैं अपने आप को अकेला न समझ लूं। मेरी class तक मुझे छोडने आये थे , वैसे उनके रहते कभी मैं अकेला नही हो सकता । तब तो मैं नही समझ पाया लेकिन अब एक बात जान गया हूं की पापा ने जो मुझे हौसला दिया था वो कोई दुआ से कम नही था।

लोग ध्यान रखते थे मैं कही गिर गया तो मुझे ज़्यादा चोटें न आये लेकिन एक यक्ति था जो मुझे गिरने ही नही देता था । कभी वो साईकल दिलाई ही नही जिससे मैं गिर जाऊ। साईकल मैं दो extra support टायर रेहते थे जो मुझे गिरने नही देते थे। ज़िन्दगी मैं जैसे जैसे आगे गया तो भी ये एक्स्ट्रा टायर बनके Dad ने मुझे कभी गिरने नही दिया। वो हमेशा वहाँ होतें जहा मेरी ज़िंदगी का रास्ता खराब होता है। आज भी याद है मुझे जब Dad मुझे साईकल चलाना सीखा रहे थे। मैं अपना ध्यान पैदलों पे रखे हुआ था और बहुत कोशिशों की बाद भी साईकल चलाना नही सिख पा रहा था तब Dad की कही बात जो आज भी मुझे बचाये रखे है , वो बात कुछ इस तरह से थी कि ," हमारा ध्यान पैदलों (लोग) पे क्यों रखना , जिंदगी मैं ऐसे कही कई पैदल आएंगे जो तुम्हे ऊपर नीचे ले जाएंगे, ध्यान हर वक्त रास्तो पे होना चाहिए , रास्तो पर आती चीजो पर होनी चाहिए जिससे हमें पता चलता है कि हमे Break कब लगानी है और speed कब बढ़ानी है।

आज कल सब डरते है कि कही उनकी संतान उनसे जुठ न बोले , उनके अच्छे बर्ताव का उपयोग करके वो अपनी मनमानी न करने लगे । यहाँ, मुझे भी शिकायत है आपसे Dad,, एकबार मैं काम से दोस्त के साथ बाहर गया था । हम दो दोस्त मिलकर बातें कर रहे थे तब एक और दोस्त का मेरे फ़ोन पर call आया तो मेरे दोस्त ने मेरे हाथ से फ़ोन लिया और दोनों बातें करने लगे तभी
Dad को कुछ काम था तो उन्होंने मेरे फ़ोन पर call लगाए। 6-7 कॉल करने पर भी मेने receive नही कर पाया क्योकि मेरे पास तो फ़ोन था ही नही।
फिर मैं घर पे आया तो माँ ने कहा कि Dad कह रहे थे कि जरूर उसका फ़ोन बिगड़ गया होगा वरना वो कभी मेरा फ़ोन न receive करे ऐसा हो नही सकता। मुझे शिकायत है कि आप मुझ पर क्यों इतना भरोसा करते हो? इतना तो मैने कभी अपने आप पर भरोसा नही किया। आज कल मैं डर रहा हु की कही आप का मुझ पर जो भरोसा है वो मैं तोड़ न दु। हाथ कापते है ऐसा काम करने से पहले जिससे करते समय ऐसा लगता है कि कही ये आपका भरोसा न तोड़ दे।

मेरे Dad मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे, मैं नही बन पाया । मेरे Dad मुझे foreign country भेजना चाहते थे , में नही गया । मेरे Dad ने मुझे कभी कहा तो नही के मैं खेत के काम शिखु , वो कही न कही ऐसा चाहते है की में ऐसा करु लेकिन कभी बताया नहि मुझे , और सच बताऊ तो मैं ये भी नही कर सका । उनके देखे हर एक सपने मैं खड़ा न हो पाया।

"कभी कभी हम भूल जाते है कि हमे बनाने मे उनके कितने सपने छूट जाते है..."

यह सभी वस्तुए वो चाहे तो मुझसे करवा सकते थे लेकिन कभी उन्होंने करवाया नही क्योंकि वो मेरा जुठ जानते है। वो जानते है वो सारी बातें जो मेने कभी अपने आप से भी नही कही। तभी जो चीज़ मेरे दिल मैं हो वोह शाम को मेरे हाथ मे होती है। दिल को जानना बखूबी आता है उन्हें तभी तो मेरे सारे जुठ को बड़े अच्छे से सच मैं बदल ने की कोशिशें करते है। कभी कभी तो मेरे गलत होने पर भी मुझे टोकते नही भरोसा जो कर है। मेरे आधे बोले गए जुठ को वो सुनकर ही समझ जाते है लेकिन जताते नही क्योंकि वो हर बार मुझे जीतते हुए देखना चाहते है।

इतने अच्छे रिश्ते से पता नही क्यों मैं दूर होते जा रहा हु। कोई अनबन तो नही हमारे बीच लेकिन पता नही आजकल हर बातें नही बता रहा उन्हें। घर मैं जितनी बात औरो से होती है उतनी आपसे क्यों नही कर पाता? क्यों आप के साथ उतना नही खुल पाता जितना औरो के साथ होता हु। जब कही किसीकी जरूरत होती तो पहले की तरह उनसे बात नही कर पाता। पहले उनकी हर बात सच्ची लगती थी और वैसा ही होता था जैसा कि वो बोलते थे पर अब जाने क्यों मैं उनकी कही बातो मैं अपना ही logic लगाया करता हु। कई बार मेरी जीत होती है तो खुश क्यों होता था उसकी हार देखकर जिसकी पहली और सारी हार मैं ही हु। लेकिन अब उनसे हारने से और मेरे गलत होने पर कोई सिकवा नही है। उनसे हारने की चाह लगी रहती है क्योंकि मेरे अभी बहुत से और भ्रम टूटेंगे, मुझे अभी और गलत होना बाकी है।

जी हम भागने में रेह गए, कभी अपने ख्वाबो की पीछे , कभी अपने ज़ज़्बातों को पीछे, Dad की दौलत की पीछे भाग भाग कर बहोत कुछ पाया कमाया,लेकिन उनके दिए हुए थोड़े से पैसो मैं जो सुकून था पता नही आज कल ढूंढने पे भी नही मिल रहा । पहले रिश्तो की मिठास ने जो संजोया था हमे, अब वो मिठास तो है लेकिन रिश्तो की उम्र ने हमे एक दूजे से बाट दिया है। Dad के द्वारा बढ़ाया गया वो हाथ जो हर पल मुझे चलना सिखाता था, दौड़ना सिखाता , गिरने से बचाता था आज वो मेरे लिए क्यों कई बातों मैं मायने नही रखता है? शायद बढ़ती उम्र ने मुझे खुद के पैरों पे खड़ा रहना सीखा दिया है लेकिन क्या मेरी ज़िंदगी बिना Dad के हाथ को थामे जीना ज़रूरी है क्या? यह सब मेरे Dad होता हुआ देखते है लेकिन किसी बात पर टोका नही है मुझे, क्योंकि वो मेरी ज़िंदगी के जुठ जानते है सच कहु तो हर रोज मेरे जुठ से लड़ते है वो... मुझे जिताने के लिए।

अभी कर रहा हु कोशिशें खुदको उनसें मिलाने की, जो हु वो बताने की, कही न कही जताने की शायद से मैं वो नही हु जो आप चाहते हो लेकिन मेरे सारे जुठ को इस तरह से निकालना चाहता हु की कभी आपको जो मुझ पर जो भरोसा है वो कभी न टूटे। जान गया हूं कि सुबह हो और पापा को करीब देख लू तभी मैं हर गम से दूर हु।

हान तो ये सब रिश्ते संभाल ने चल पड़ा हूँ, अपने आप को, अपनो के साथ मिलाना चाहता हूँ। कुछ खास शोर नही है लेकिन जोश के साथ निकल पड़ा हूँ। जिंदगी मैं मिलती सभी खुशियों को अपनो के साथ बाटना चाहता हु, दुखो मैं अपनो का साथ चाहता हु। रिश्तो की यादों को दोहरा रहा हु, इसी चाह मैं के जो छूट आए रिस्ते सारे उसे अपने साथ ले चलु। वैसे बोले जाने वाले कई रिस्ते है मेरे पास लेकिन कुछ अनकहे रिस्ते बताने आया हु।

Love you Papa ❤️

E-mail - vivupatel3155@gmail.com